logo

समर कैम्प का उदघाटन एवं विदाई समारोह सम्पन्न –

समर कैम्प का उदघाटन एवं विदाई समारोह सम्पन्न –
आज दिनांक 01.05.2024 को सरस्वती शिशु मंदिर नागौद के नानाजी देशमुख सभागार में समर कैम्प का उदघाटन एवं विदाई समारोह सम्पन्न हुआ, जिसके मुख्य अतिथि अंजना टण्डन जी रहीं, अध्यक्षता डॉ राजन सरन जी श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि चन्दन जी अग्रवाल, आभा जी अग्रवाल रहीं एवं सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षक रमेश श्रीवास्तव, अशोक शर्मा मंचासीन रहे। अतिथि परिचय विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य श्री अनंत प्रसाद द्विवेदी जी,कार्यक्रम का संचालन ECCE प्रधानाचार्या शालिनी त्रिपाठी ने किया, कार्यक्रम की प्रस्तावना विशिष्ट अतिथि महोदया आभा जी अग्रवाल द्वारा दी गई। सेवानिवृत्त आचार्य परिचय कार्यक्रम के संयोजक पुष्पेन्द्र गर्ग ने कराया, उदघाटन सत्र में प्रशिक्षक नफीस अहमद, रमेश तिवारी, अनिकेत बारी, राजेश सोनी, शालिनी त्रिपाठी, अक्षरा अग्रवाल, सरोज सिंह, लक्ष्मी सोनी, इशिता टण्डन एवं सरोजिनी गुप्ता उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महोदया ने अपने उदबोधन में कहा सरस्वती मंदिर नागौद के समर कैम्प की सफलता देखकर सरस्वती शिक्षा परिषद ने पूरे महाकोसल प्रांत में सभी सरस्वती शिशु मंदिरों में समर कैम्प व्यवस्था लागू कर दी है जिससे भैया/बहिनों में छुपी हुई प्रतिभाओं को निखारने का कार्य होता है।
आज के विशिष्ट अतिथि चन्दन जी अग्रवाल ने अपने उदबोधन में कहा कि आज सेवानिवृत्त हो रहे आचार्य रमेश श्रीवास्तव जी, अशोक शर्मा जी ने अपने जीवन की अधिकांश सेवाएँ इसी विद्यालय को दी हैं,यह बडे गौरव की बात है कि एक ही विद्यालय में 33 37 वर्षों तक अपनी सेवाएँ दी, आप दोनों ने अपने जीवन में जो सदैव ज्ञान रूप दीप जलाकर भैया बहिनों को जो दिशा प्रदान की वह वंदनीय है, सनातन पद्धति में जिस प्रकार चार आश्रम व्यवस्थाएँ निर्धारित हैं, उन्ही का परिपालन व्यक्ति जीवन भर करता रहता है आज दोनों आचार्यों की सेवानिवृत्त हो रहें हैं यह बडे गौरव की बात है आज से आपके जीवन का नया आयाम प्रारंभ हो रहा है, ईश्वर इस पद पर आपको अनंत ऊंचाईयाँ प्रदान करे।
सेवानिवृत्त हो रहे आचार्य रमेश श्रीवास्तव जी ने कहा कि 37 वर्षों इस विद्यालय में पूरी निष्टा एवं ईमानदारी से शिक्षकीय कार्य किया मैं उस समय की प्रबंध समिति के व्यवस्थापक श्रीमान् रामकुमार जी अग्रवाल को नमन करता हूँ, कि आप अद्भुत विद्वता के धनी थे आप कुछ पल में ही आचार्यों की समस्याओं को हल कर देते थे ऐसा पारखी व्यक्तित्व था कि वे आचार्य को देखते ही समस्या का अनुमान लगा लेते थे और तुरंत ही उसका निदान करने का प्रयास करते थे। मैं वर्तमान विद्यालय प्रबंध समिति के व्यवस्थापक चन्दन जी अग्रवाल का भी ह्रदय से आभारी हूँ, आप दयालुता की प्रतिमूर्ति हैं मैं ह्रदय से आपका आभारी हूँ।
कार्यक्रम की अगली कडी में सेवानिवृत्त हो रहे आचार्य अशोक शर्मा ने कहा कि शिक्षा का कार्य सबसे पवित्र कार्य है, मेरे पिताजी एक कुशल शिक्षक थे वे कहा करते थे कि आप एक शिक्षक होने के नाते अपनी सेवाएँ पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करें उसी को आधार मानकर मैंने अपना संपूर्ण ज्ञान भैया बहिनों को देता रहा मैं अपनी प्रबंध समिति, आचार्य, आचार्या सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ यदि मुझसे अंजाने में भी कोई भूल हुई हो।
आज के अध्यक्षीय आशीष हेतु मंचासीन डॉ राजन सरन श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है, दोनों आचार्य सेवानिवृत्त नहीं हो रहे बल्कि शिक्षकीय कार्य का हस्तांतरण हो रहा है, आज तक आप दोनों आचार्य बंधू बंधनपूर्ण कार्य कर रहे किंतु मैं आशा करता हूँ कि आप दोनों आज से यह कार्य स्वतंत्र रूप से करेंगे, मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरे दोनों संतानों को शिक्षा इसी विद्यालय से प्राप्त हुई आपने अपने बेटे आयुष्मान श्रीवास्तव द्वारा बताए गये एक संस्मरण में रमेश श्रीवास्तव जी को याद किया और दोनों आचार्यों से यह अपेक्षा की कि आप दोनों आज से स्वतंत्र रूप से समाज सेवा का कार्य करेंगे और दोनो के यशस्वी जीवन की ईश्वर से कामना की,कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से हुआ।

11
2022 views